मुर्गियों में गर्मियों के मौसम में हीट स्ट्रेस प्रबंधन - Heat
Stress Management in Poultry
परिचय:
हीट स्ट्रेस मुर्गियो में एक प्रबंधन विफलता का उदाहरण है|
इससे काफ़ी आर्थिक हानि होती है|
वातावरण में जब गर्मी बढ़ती है तो उसके साथ साथ आद्रता भी
बढ़ती है जो हीट स्ट्रेस को और घातक बना देती है| इससे मुर्गियों की उत्पादकता पर बहुत बुरा असर पड़ता है|
मुर्गी का सामान्य तापमान 410C होता है जब वातावरण का तापमान 350C
से अधिक होना शुरू होता है मुर्गियों की सामान्य शारीरिक
स्थिति पर असर पड़ना शुरू हो जाता है जिससे अंदरूनी सिस्टम जैसे सांस,
दिल की धड़कन, खून की रवानी आदि सब प्रभावित होते हैं|
हीट स्ट्रेस को कुछ प्रबंधन तकनीक और सपलिमेंटरी दवाओ से
काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है.
हीट स्ट्रेस कैसे उत्तपन होती है: जैसा की पहले बताया गया की यह उच्च तापमान के कारण होती है|.
मुर्गियाँ जो दाना खाती हैं उसके पाचन में और अवशोषित होने
के बाद शरीर के विभिन्न अंगो में कई तरह की रसायनिक क्रियाए होती हैं जो जीवित
रहने और बढ़ने के लिए अवशयक हैं| इन रसायनिक क्रियाओ से निरंतर उष्मा निकलती रहती है जो
मुर्गी के शरीर के तापमान (410C) को बना कर रखती है| परंतु अधिक उष्मा को मुर्गी के द्वारा शरीर से बाहर निकाल
दिया जाता है| इसके
लिए मुर्गी मुह खोल कर तेज़ी से सांस लेती है जिसे पैंटिंग (Panting)
कहते हैं यह शरीर से गर्मी निकालने का मुख्य तरीका है|
साथ ही शरीर के उपर से बहने वाली हवा भी शरीर से गर्मी को
उड़ा लेती है और अंदरूनी तंत्र क्रियायो में antioxidants (जैसे
विटामिन सी) भी अच्छा काम करते हैं|
मुर्गी में उष्मा विनीयम के तरीके
-Convection
(संवहन): इसमे मुर्गी अपनी गर्मी
को चारो तरफ मौजूद ठंडी हवा के ज़रिए से निकाल देती है|
इसके लिए मुर्गी अपने पँखो को गिरा लेती है और कभी कभी तेज़ी
से फड़फडाती है|
-Radiation
इसमे शरीर की उष्मा electromagnetic तरंगो के रूप में शरीर से निकलती है|
यह मुर्गी का तापमान कम करने में ज़्यादा उपयोगी नही होती|
-Conduction
इस स्थिति में जब मुर्गी किसी ठंडी वस्तु के संपर्क में आती
है तो उष्मा गरम से ठंडी वस्तु की तरफ स्थानातरित होती है|
जैसे ठंडी ज़मीन या पानी का छिड़काव या ठंडी ज़मीन
-Evaporative
Cooling इसमे शरीर की गर्मी
जो खून से प्रवाहित होकर मुह तक आती है और मुह की झिल्ली से निकलती है,
यहाँ गर्मी पानी को वाष्पिकृत करती है|
-इस जानकारी का व्यावहारिक या प्रायोगिक उपयोग यह है की बाद
की दो प्रक्रियायें conduction और evaporative cooling मुर्गी को हीट स्ट्रोक से बचाने के लिए काम आती हैं|
यदि किसान नियमित रूप अधिक गर्मी के समय में ठंडी हवा का
प्रयाग करें तो काफी हद तक रहात मिल सकती है| ड्रिंकर में पानी का लेवल बढ़ा देना चाहिए और अगर टैंक
डायरेक्ट धूप में रखा हो तो उसमे पानी जमा न होने दें और पानी का तापमान 20डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं जाना चाहिए|
पक्षी अपने आप को इससे गिला करते रहते हैं|
तो जब कोई दवाई पानी में दें तो ड्रिंकर में पानी का लेवल
कम रखें|
गर्मियो में पोल्ट्री फार्म में पानी की ज़रूरत और खपत :
Radiation,
Convection, और Conduction
इन तीनो प्रक्रियाएँ से होने वाली उष्मा का क्षय प्रत्यक्ष
उष्मा क्षय (Sensible Heat Loss) कहलाता है यह क्षय तब होता है जब मुर्गी 250C
तक के तापमान पर रहती है| और इससे अपने शरीर का सामान्य तापमान 410C
बनाए रखती है. 180C से 250C तक का तापमान Thermoneutral Zone कहलाता है|. जब तापमान इससे अधिक होता है तो प्रत्यक्ष उष्मा क्षय कम हो
जाता है और सांस लेने के तंत्र की झिल्लियो से वाष्पिकृत होने वाला पानी उष्मा
क्षय का प्रधान कारक बन जाता है| इस प्रक्रिया से शरीर से 1g पानी अपने साथ 540 केलोरी लेकर वाष्पिकृत होता है|
ब्रायिलर पक्षी में विभिन्न अवस्थाओ में प्रति घंटा 1000 केलोरी से 14000 केलोरी उर्जा अतिरिक्त निकलती है|
तो यह बात यहाँ ध्यान देने योग्य है की इतनी उष्मा को शरीर
से निकालने के लिए प्रति घंटा लगभग 25ml पानी की आवश्यकता होगी|. यदि पक्षी दिन में 10 घंटे अत्याधिक गर्मी में विचरण करता है तो 250ml
पानी शरीर से निकाल देता है| ऐसे
में फार्म में 5000
मुर्गियां हैं तो पानी की खपत व्यापक तौर पर बढ़ जाती है क्यूंकि 1250 लीटर पानी तो सिर्फ वाष्प बन कर निकल जायेगा जो फार्म में
आद्रता को बढाता है इसलिये पंखा चलाना अनिवार्य हो जाता है|
Electrolyte
Supplementation: शरीर से
निकालने वाला पानी अपने साथ शरीर का नमक और क्षार भी बहार ले आता है जिससे शरीर
में acid-base
संतुलन बिगड़ जाता है और ग्रोथ रुक जाती है और कभी कभी
मुर्गियाँ मरने भी लगती हैं. इसलिए पानी के साथ किसान को electrolytes
और क्षारीय पदार्थो का सपलिमेंटेशन भी करना चाहिए.
हीट स्ट्रेस का मुर्गी के अंडे की शेल पर क्या प्रभाव पड़ता
है:
हीट स्ट्रेस कोई बीमारी नही है बल्कि प्रबंधन की कमी से
पैदा होने वाली स्थिति है| जैसा की पहले बताया गया है की जब गर्मी बढ़ती है तो मुर्गी उष्मा को बाहर
निकालने के लिए तेज़ी से सांस लेती है और ज़्यादा से ज़्यादा पानी वाष्पिकृत होता
है|
इससे शरीर से अत्याधिक कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकल जाती
है और शरीर में Metabolic Alkalosis हो जाता है| इस वजह से Carbonic Anhydrase नामक enzyme काम करना कम कर देता है और मुर्गी की अंडा दानी में
कॅल्षियम को पर्याप्त bicarbonate आइयन नही मिल पाते जिससे अंडे के कवच कमज़ोर और लचीले हो
जाते हैं|
बहुत सारे किसान इस बात की जानकारी ना होने की वजह से दाने
में calcium
की मात्रा बढ़ा देते हैं जिससे कोई फ़ायदा नही होता|
दूसरी तरफ Metabolic Alkalosis में Calcium भी ठीक से प्रेसिपिटेट (जमा) नही हो पाता इससे ब्रायिलर
चूज़ो में हड्डिया कमज़ोर हो जाती है और बढ़वार पर बहुत बुरा असर पड़ता है|
हीट स्ट्रेस के प्रभाव:
गर्मी बढ़ने से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला कारक उत्पादन
है और फिर रोगो से लड़ने की क्षमता का कम हो जाना तय होता है|
दाने की खपत कम हो जाती है, अंडे का अल्ब्युमिन कम हो जाता है मोर्टेलिटी बढ़ जाती है और
एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो जाती है
गर्मियो में हीट
स्ट्रेस का प्रबंधन:
मुर्गियों में जो पानी की आवश्यकता आम दिनो फीड के मुकाबले
में 2:1 होती है| हीट स्ट्रेस में पानी की खपत 4 गुना तक बढ़ जाती है|
(1)
हर समय ठंडे साफ पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करें
(2) nipple drinker में 70ml पानी प्रति मिनट आना चाहिए
(3) ब्रायिलर फार्म में पानी के बर्तनो की संख्या प्रति 40 पक्षी पर एक बर्तन कर देनी चाहिए
(4) पानी में दिन में कम से कम एक बार electrolyte
ज़रूर मिलाए
(5) यदि पानी उपर धूप में स्थित टंकी से आ रहा है तो यह बात याद
रखें की वो बहुत जल्दी गरम हो जाता है तो इसलिए उसे एक हिसाब से बदलते रहें
(6) मुर्गियो को दोपहर के समय बिल्कुल ना छेड़े और बड़े पँखो का
इंतेज़ाम करें
(7) प्रबंधन कार्य जैसे चोंच का बनाना या टीकाकरण सुबह के समय
ही करें
(8) foggers का इस्तेमाल करें और हर 10 मिनट बाद 2 मिनट के लिए चलाएँ
(9) दिन के समय छतो पर sprinklar से बौछार करने से भी काफ़ी राहात मिलती है
(10) दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक फीडिंग ना करें
(11) हवा के बहाव को दिन के समय बढ़ाने की कशिश करें जो की 1.8 से 2 मीटर प्रति सेकेंड होना चाहिए.
(12) बेचने के लिए या स्थानांतरण के लिए मुर्गियो को सिर्फ़ सुबह
या रात के समय में ही लेकर जाएँ
सपलिमेंटेशन:
Potassium
Chloride, Ammonium Chloride और
Sodium
Bicarbonate को बराबर मात्रा में
मिलाकर एक मिश्रण बना लें और उसे 2Kg प्रति टन के हिसाब से फीड में मिला कर दें.
पानी में electrolyte देना अधिक प्रभावशाली होता है. इसके लिए एक लीटर पानी में 2.6g
Sodium Chloride (खाने का नमक),
1.5g Potassium Chloride, 2.9g trisodium citrate (नींबू सत्), 15g Jaggery (गुड़) मिला कर दें
इसी एक लीटर पानी में 1g vitamin C (HeatKill)
और आधा आधा ग्राम अश्वगंधा और कलोंजी मिलाकर देने से और भी
अनुकूल प्रभाव देखने को मिलते हैं.
यह संलेख Dr. Ibne Ali का सर्वाधिकार है जिसे हमने ब्रायिलर फार्मेरो के ज्ञान वर्धन के लिए बनाया गया है. कोई संस्था यदि इसमे दी गयी जानकारी को कहीं उपयोग करे तो Ali’s Veterinary Wisdom के सौजन्य से लिखना ना भूलें. इस संलेख को किसी और नाम से प्रकाशित करने पर सर्वाधिकार हनन माना जाएगा.
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