All About Vitamin C in Poultry Health - पोल्ट्री में विटामिन सी के इस्तेमाल की समस्त जानकारी

All About Vitamin C in Poultry Health 
  
पोल्ट्री में विटामिन सी के इस्तेमाल की समस्त जानकारी 




विटामिन सी पशु पोषण में पाए जाने वाले कुछ ऐसे सूक्ष्म पदार्थों में से एक है जो जीवन दायिनी रासायनिक क्रियाओं का अभिन्न अंग होता हैयह अन्य पोषक तत्वों की अपेक्षा बहुत कम मात्रा में पोषण में उपस्थित होता है परंतु अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यों में इसकी आवश्यकता होती हैजैसा कि हम जानते हैं विटामिन दो तरह के होते हैं पहले वो जो तेल में घुल जाते हैं और उन्हें फैट सॉल्युबल विटामिन कहा जाता है दूसरे प्रकार के विटामिन फैट में नहीं घुल  पाते परंतु पानी में घुलनशील होते हैं उन्हें वाटर सॉल्युबल विटामिन कहते हैंविटामिन सी एक वाटर सॉल्युबल विटामिन है| पशु पक्षी इसका उत्पादन  अपने शरीर में कुछ हद तक कर लेते हैं परंतु इतना नहीं कर पाते जितनी की आवश्यकता होती है इसलिए पक्षियों को इस विटामिन के लिए बाहरी पोषण पर निर्भर होना पड़ता हैशरीर में भी इस विटामिन का अधिक भंडारण नहीं हो पाता उस कारण से भी इसे फीड से प्राप्त करना पड़ता है


इस आर्टिकल को लिखने का उद्देश्य यह है कि आजकल गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है और साथ ही साथ विटामिन सी की अंधाधुंध मार्केटिंग भी शुरू हो गई है चाहे पोल्ट्री हो या डेरी विटामिन सी की आवश्यकता सभी पशुओं में समान होती हैइसलिये विटामिन सी जानकारी और मार्किट में मौजूद उत्पादों का आंकलन आवश्यक हो जाता है|




1500 ईसवी में जब यूरोपीय देशों ने औद्योगिक क्रांति के चलते नए बाजार तलाशने शुरू किए तब उन्होंने दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशिया का रुख कियाउस समय हवाई यातायात के संसाधन मौजूद नहीं थे और जमीन के द्वारा दक्षिण एशिया में पहुंचना बहुत मुश्किल था क्योंकि रास्ते में अरब देश पड़ते थे जिन्हें टैक्स देकर माल आगे ले जाना पड़ता थाइसी का समाधान खोजने के लिए उस समय के राजाओं ने दक्षिण एशिया के देशों तक पहुंचने के लिए समुद्र का रास्ता पता करने की एक प्रतिस्पर्धा शुरू की जिसमें अनेकों व्यक्तियों ने समुद्र में लंबी लंबी यात्राएं करनी शुरू की इनमें से एक थे वास्कोडिगामा जिन्होंने 1499 में भारत के पश्चिमी तट पर पहली बार कदम रखा| ये यूरोपीय देश  पुर्तगाल से भारत आए थे परंतु रास्ते में इनके दो तिहाई से अधिक साथी मारे गए ऐसा कई और समुद्री यात्राओं में देखने को मिला थाजो लोग मारे गए  थे उनकी टांगे सूजी हुईमसूड़ों से खून बहनाजख्मों का ना भरनाखून की कमी जैसे मुख्य लक्षण देखने को मिले थेपरंतु जब बचे हुए लोग पश्चिमी भारत के तट पर पहुंचे तो उनमे भी ये लक्षण मौजूद थे| वहां के राजाओं ने उनका स्वागत सिट्रस फलों से किया| सिट्रस फलों में, संतरा, माल्टा, निम्बू आदि आते हैंइन फलों के खाने से वास्कोडिगामा के साथ आए बाकी व्यक्ति चमत्कारिक रूप से ठीक हो गएउस समय के विशेषज्ञों ने यह अंदाजा लगाया कि समुद्र में यात्रा के दौरान किसी पोषक तत्व की कमी हो गई थी जो यहां मौजूद फलों से पूरी हुई हैयह बीमारी स्कर्वी कहलाई और उस पोषक तत्व विटामिन सी कहा जाने लगासी का मतलब है सिट्रसइस तरह विटामिन सी की खोज हुई

बहुत प्रकार के पशु विटामिन सी को गुलकोज द्वारा शरीर के अंदर बना लेते हैं परंतु वानर, मछलियां और कुछ प्रकार के पक्षी विटामिन सी को शरीर के अंदर नहीं बना पाते और उन्हें यह पोषण द्वारा बाहर से लेना पड़ता हैमुर्गियां भी शुरूआती अवस्था में पर्याप्त विटामिन सी शरीर के अंदर नहीं बना पाती इसलिए अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें फीड या पानी  में विटामिन सी दिया जाता है|

विटामिन सी (Vitamin C) चाहे बाहर से लिया जाए या शरीर के अंदर बने उसे शरीर की कोशिकाओं में जाने के लिए कुछ विशिष्ट प्रोटीन का सहारा लेना पड़ता है जिन्हें  Na+-coupled vitamin C transporters (SVCT 1 Or SVCT 2) कहा जाता हैकोशिका में जाने के बाद विटामिन सी (Vitamin C) अपना मुख्य कार्य कर के  एक निष्क्रिय तत्व में बदल जाता है  जिसे Dehydroascorbate (DHA) कहते हैं और यह Dehydroascorbate (DHA) कोशिकाओं से  Glucose transporters (GLUT 3 And GLUT 1) द्वारा बाहर निकाला जाता हैपरंतु दिमाग के अंदर कुछ ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो Dehydroascorbate (DHA) से दोबारा सक्रिय विटामिन-सी बना लेती हैं क्योंकि दिमाग की कुछ अन्य कोशिकाएं जैसे न्यूरॉन (Regenerate vitamin C from DHA via Reduced glutathione (GSH) oxidation) के अंदर  ऑक्सीडेशन (Oxidation) की प्रक्रिया बहुत तीव्र होती है जिसके कारण दिमागी कोशिकाओं को अतिरिक्त विटामिन सी (Vitamin C) की आवश्यकता होती है|



विटामिन सी (Vitamin C) को वैज्ञानिक शब्दावली में  Ascorbate कहते हैं|  शरीर के अंदर दो प्रकार की क्रियाएं होती हैं एक ऑक्सीडेशन जिसमें पदार्थ टूटता है और  दूसरी रिडक्शन जिसमें पदार्थ बनता है|  विटामिन सी (Vitamin C) एक रिड्यूसिंग पदार्थ है जो कुदरती एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) की तरह काम करता है मतलब यह खुद टूट कर अन्य महत्वपूर्ण पदार्थों को या तो बनाता है या बचाता हैयदि शरीर  तेजी से बढ़ रहा है या बीमार है या फिर किसी अन्य तनावपूर्ण (stressful) स्थिति में है तो शरीर में यह तोड़ने फोड़ने वाली क्रियाएं बहुत अधिक होने लगती हैं ऐसे में शारीरिक कोशिकाओं और अंगों को बचाने के लिए एक बचाओपूर्ण प्रक्रिया की जरूरत होती है वह प्रक्रिया एंटी ऑक्सीडेशन (Antioxidation) कहलाती है और  जिस पदार्थ द्वारा यह संपन्न होती है उसे एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) कहते हैं विटामिन सी भी एक प्रकार का एंटीआक्सीडेंट है|

विटामिन सी की एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) ताकत इतनी होती है की है बिल्लियों में पेरासिटामोल  Acetaminophen toxicity में इलाज के तौर पर दिया जाता है|  तालाब में रहने वाले कछुओं के दिमाग में भी विटामिन सी बहुत प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसकी वजह यह है कि यह कछुए कई घंटों के लिए तालाब में डुबकी लगाते हैं जहां पर ऑक्सीजन नहीं होती परंतु जब यह सतह पर आते हैं तो अचानक ऑक्सीजन की बढ़ी हुई मात्रा ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Oxidative Stress) का कारण बनती है जिससे ब्रेन को काफी नुकसान पहुंच सकता है परंतु ऐसी स्थिति में विटामिन सी  Oxidative damage से दिमाग की कोशिकाओं को बचा लेता है|

हम जानते हैं की प्रोटीन विभिन्न अमीनो एसिड से मिलकर बनता है बढ़ते हुए शरीर में कोलेजन भी अधिक मात्रा में बनता है कोलेजन एक तरह का जोड़ने वाला प्रोटीन होता है विटामिन सी इस प्रोटीन को बनाने में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि विटामिन सी से  Hydroxylations की प्रक्रिया संपन्न होती है और कोलेजन बनता है|  यदि कोलेजन ना बने तुम मुर्गी के शरीर में  हड्डियों के जोड़ सही से नहीं बन पाते और ना ही हड्डियों में लचीलापन रहता है दूसरी ओर अन्य अंदरूनी  अंगों में स्थिरता और शक्ति नहीं रहती इसलिए कोलेजन का बनना अति आवश्यक होता है|  जब मुर्गा 2 किलो का या उससे ऊपर हो जाता है तो विटामिन सी की आवश्यकता भी कम हो जाती हैहड्डियों के ऊपर कार्टिलेज के बनाने में भी विटामिन सी का योगदान होता है और यह हड्डियों और कार्टिलेज के एक महत्वपूर्ण तत्व Glycosaminoglycan को बनाने में मदद करता है

लायिसीन से Carnitine और  S-adenosylmethionine बनाने में भी मदद करता है Carnitine शरीर में फैट के इस्तेमाल को बढ़ावा देता है| Carnitine  को हम किसी अन्य आर्टिकल में विस्तार से जानेंगेपक्षी के लिवर में विभिन्न दवाइयों को निष्क्रिय किया जाता है जिसे  hepatic microsomal drug metabolism कहते हैं इसके अलावा फीड में मौजूद  अन्य जहरीले पदार्थों को भी निष्क्रिय करता है|  यह प्रक्रिया microsome नामक orgenelles  (कोशिकाओं) में संपन्न होती है जिसमें मुख्यत  तत्वों का hydroxylation किया जाता है जिससे वो पानी में घुलनशील बनकर किडनी से बहार निकल जाते हैं|  इसके अलावा विटामिन सी  bile acid बनाने में भी मदद करता है जो पाचन प्रक्रिया में फैट को पचाने का काम करता है|




विटामिन सी (Vitamin C) सफेद रक्त कोशिकाओं (leukocytes)  में  प्रचुर मात्रा में पाया जाता है यदि इन कोशिकाओं में विटामिन सी की कमी होती है तो जख्म भरने में बहुत कठिनाई आती है,  कभी कभी अंदरूनी रक्त स्त्राव से मुर्गियों में काफी मोर्टेलिटी हो जाती है जैसे की necrotic enteritis और coccidiosis में देखने को मिलता है|  सभी रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं की क्षमता उनके अंदर पाए जाने वाली विटामिन सी  की मात्रा पर निर्भर करता है|  Leukocytes  का मुख्य काम बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया को खाने का होता है,  इस प्रक्रिया में Leukocytes  बैक्टीरिया को अपने अंदर लेकर उसका  ऑक्सीडेशन कर देती हैं|  कभी-कभी यह ऑक्सीडेशन काफी तीव्र मात्रा में होने लगता है जिसके कारण वह स्वयं कोशिका के लिए हानिकारक बन जाता है ऐसे में विटामिन सी एंटीआक्सीडेंट की तरह काम कर के कोशिकाओं को बचाता हैइस तरह से विटामिन सी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में लाभकारी होता है| इसी कारण से विटामिन सी यदि वेक्सिनेशन के साथ दिया जाये तो अत्यंत लाभप्रद होता है|

जैसा कि हम जानते हैं कि मुर्गियां फार्म में अत्यंत तनावपूर्ण स्थिति में रहती हैं ऐसी कंडीशन में शरीर के अंदर स्ट्रेस हार्मोन (biogenic amine I.E., catecholamine) निकलने लगते हैंयह catecholamine  adrenal medulla, central (CNS), and sympathetic (SNS) nervous systems में बनते हैं जो  dopamine नामक  हार्मोन से बनते हैं जिसमें hydroxylation की प्रक्रिया का इस्तेमाल होता है जिसे विटामिन सी पूरा करता है|  

विटामिन सी (Vitamin C) कुछ अन्य हार्मोन जो प्रोटीन से बनते हैं उन्हें कार्यशील करने में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यह कार्यशीलता  Cu++-dependent amidation reactions द्वारा संपन्न होती हैं और इसी प्रक्रिया के जरिए  growth hormone (GH), calcitonin (CT), and melanocyte stimulating hormone (MSH) जैसे हार्मोन बनते हैं|  छोटे चूजों में यह तीनों हार्मोन काफी महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि यह सीधे तौर पर उनकी ग्रोथ के लिए जिम्मेदार होते हैंइसलिये हड्डियों के खनिजीकरण में भी इसका योगदान होता हैविटामिन सी (Vitamin C) आयरन (iron) कॉपर (copper) और कैल्शियम (calcium) के मेटाबोलिज्म में भी केंद्रीय भूमिका निभाता है|

यदि सही मात्रा में विटामिन सी न दिया जाये तो मुर्गी पालन में गहन समस्याएं खड़ी हो जाती जिनका कोई कारण समझ नहीं आता वहां विटामिन सी के सप्लीमेनटेशन से लाभ हांसिल किया जा सकता है|

Actions of Vitamin C

• Powerful reducing agent ("Antioxidant").

• Enhance intestinal Fe
++ absorption.

• Reduce cataract formation.

• Enhance leukocyte activity.

• Participate in Cu++-dependent amidation reactions in polypeptide hormone biosynthesis (e.g., GH,
CT, and MSH).


• Participate in the amidation of C-terminal glycine residues in the brain by Cu++-dependent enzymes

• Act as a carrier of sulfate groups in glycosaminoglycan formation (the "ground substance" between
cells in all organs)


• Participate in hydroxylation reactions using O(with Fe++ or Cu++ as cofactors).
a.Hydroxyproline and hydroxylysine formation during collagen biosynthesis.
b.Carnitine biosynthesis from lysine and S-adenosylmethionine.
c.Dopamine hydroxylation during catecholamine biosynthesis.
d.Hydroxylation of steroid hormones, aromatic drugs, and carcinogens in liver microsomes.
e.Hydroxylation of cholesterol for hepatic bile acid synthesis.
  

नेचुरल और आर्टिफीशियल विटामिन सी (क्या इनमे कोई फर्क है ?)



पहली बार आर्टिफिशियल विटामिन सी 1930 में बनाया गया था यह ग्लूकोस से एक केमिकल प्रक्रिया द्वारा बना था|  उसके बाद से पशु फीड और मानव पोषण में इसका उपयोग किया जा रहा है|  कुदरती तौर पर विटामिन सी (Vitamin C) कई सारे फल और सब्जियों में पाया जाता है|  कुदरती और आर्टिफिशियल विटामिन सी में रसायनिक तौर पर कुछ भी अलग नहीं है|  यदि कुदरती और आर्टिफिशियल विटामिन सी को एक साथ रख दिया जाए तो किसी भी प्रकार का टेस्ट यह नहीं बता सकता कि कौन sa विटामिन कुदरती है और कौन सा आर्टिफिशियल|  मोटे तौर पर एक गहन रिसर्च (जिसका चित्र ऊपर दिया गया है) में यह भी देखा गया है की दोनों की उपलब्धता और कार्य में कुछ भी अलग नहीं हैविटामिन सी (Vitamin C) चाहे आर्टिफिशियल हो या आंवला या किसी और फल सब्जी से प्राप्त किया गया हो वह एक समान ही होते हैंहालाँकि कुछ अध्यनो में यह ज्ञात हुआ है की कुदरती विटामिन सी (जैसे आंवला या संतरे में मिलने वाला विटामिन सी) अन्य तत्वों के साथ मिलकर अधिक कार्यशील हो जाता है| यह अन्य तत्व bioflavinoids और anthracynidins होते हैं जो कुदरती एंटीऑक्सीडेंट होते है| परन्तु साथ ही साथ यह बात भी ध्यान रखने योग्य है की असल में जो उत्पाद या फल विटामिन सी (Vitamin C) के नाम पर किसान इस्तेमाल करता है उसमे कितना विटामिन सी होता है और उसकी कीमत क्या है तभी उसकी कार्य कुशलता को कमपेयर किया जा सकता है| 100 ग्राम ताज़े आमला में 600mg विटामिन सी होता है जबकि सूखे पाउडर में मात्र 300mg के करीब विटामिन सी होता है|  इसलिये कुदरती उत्पादों के साथ आर्टिफिशियल विटामिन सी देने से अनुकूल प्रभाव होते हैं| 

आंवला पाउडर में विटामिन सी की मात्रा 



मार्किट में मौजूद विटामिन के कोई ज्यादा ब्रांड नहीं है और कुछ ब्रांड Natural Vitamin C के नाम से भी बेचे जाते हैं|

  C- Care 500 powder - Vitamin C 50%: Dose 1g/2-4 liter water (Cargill) - Artificial

 Vaccifit Powder - Coated Vitamin C (which provides more stability and higher bio availability of vitamin C): Dose 1g per 6-7 liter of water (Petzo) - Artificial

 Phytocee - Vitamin C activity not available (Natural Remedies); Dose 1g per 4 litre of water

 Him C - Vitamin C activity not available (Himalaya); 1g per 5 litre

 HeatKill - Vitamin C (50%) (MacVet Herbal Pharma); 1g per 5 litre

 Limcee tablet - Vitamin C activity 45% activity

नोट: यदि आपके पास विटामिन सी के अन्य प्रोडक्ट ब्रांड हो तो हमें axonvet@gmail.com पर पूरी डिटेल के साथ भेजे उन्हें इस लिस्ट में डाल दिया जायेगा 

Heat stress में vitamin c कैसे उपयोग करें

शुरूआती गर्मियों में विटामिन सी बहुत कारगर होता है यदि इसे उपयुक्त नमक या इलेक्ट्रोलाइट के साथ दिया जाये तो हीट लोड को काफी हद तक कम किया जा सकता हैइसकी dose और इस्तेमाल product specification पर निर्भर करता हैजैसे vaccifit में 800mg विटामिन सी होता है जिसमे आधा तत्व coated होता है जिसकी वजह से इसकी bioavailability नार्मल विटामिन सी से अधिक होती है| Vaccifit को 70 किलो मुर्गी के वज़न के हिसाब से सुबह के पानी में 2g नमक और 10g चीनी को प्रति 50 किलो मुर्गी के हिसाब से सुबह के समय देने से बहुत लाभ होता जो प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता हैइसी तरह 1 limcee टेबलेट को प्रति 30 किलो मुर्गी के वज़न के हिसाब से 2g नमक और 10g चीनी के साथ प्रति 50 किलो मुर्गी के हिसाब से सुबह के पानी में देने से लाभ होता है|

यदि अधिक हीट स्ट्रेस की दिक्कत हो जिसमे मुर्गी पेट के बल गिर कर अचानक से मर जाते हैं उस स्थिति में आधाg phytocee, 1g vaccifit, आधा ग्राम नौसादर, 2g नमक और 15g ग्लूकोस को 8 लीटर पानी में मिला कर घोल बना लें और सुबह के बाद और दोपहर होने से पहले दिया करें|

नियमित रूप से विटामिन सी अगर देना हो तो तीसरे दिन से 13वे दिन तक 1g vaccifit प्रति 80 किलो वज़न पर दें और फिर हर हफ्ते बार इसी मात्रा में उपयोग करें| 

   



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यह संलेख Dr. Ibne Ali का सर्वाधिकार है जिसे हमने ब्रायिलर फार्मेरो के ज्ञान वर्धन के लिए बनाया गया है. कोई संस्था यदि इसमे दी गयी जानकारी को कहीं उपयोग करे तो Ali’s Veterinary Wisdom के सौजन्य से लिखना ना भूलें. इस संलेख को किसी और नाम से प्रकाशित करने पर सर्वाधिकार हनन माना जाएगा.


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