विश्व और भारत में पोल्ट्री फार्मिंग पर एक नज़र - Scope of Poultry Farming in India

विश्व और भारत में पोल्ट्री फार्मिंग पर एक नज़र

Scope of Poultry Farming in India

पोल्ट्री फार्मिंग में संभावनाए

विश्व में और साथ साथ भारत में पोल्ट्री व्यवसाय बहुत तेज़ी के साथ बढ़ रहा है. यह भारतीय GDP का तकरीबन 0.8% से ज़यादा है, तेज़ी से बढ़ती हुई जनसंख्या और बढ़ती हुई माँस प्रोटीन की माँग इस व्यवसाय को खास तौर से बढ़ावा दे रही है. बढ़ती हुई दैनिक आय और खाने पीने की तरफ लोगो की रूचि भी इस व्यवसाय की उन्नति के लिए ज़िम्मेदार है.

®  पोल्ट्री से हमे अंडे और माँस मिलता है. यह अनुमान है की विश्व में पोल्ट्री माँस की माँग 2022 (2013 की तुलना में) तक 47% तक बढ़ जाएगी, इससे यह पता चलता है की पोल्ट्री फार्मिंग में आने वाले समय में असीम संभावनाए उपलब्ध हैं.
®  सन 2016 में टाइम्स ऑफ इंडिया के सर्वेक्षण के अनुसार भारत की लगभग 70% आबादी (15वर्ष से अधिक आयु वाले) माँसाहारी है, और इस बात का सबूत देश में तेज़ी से बढ़ता हुआ माँस का व्यवसाय है, जिसमे पोल्ट्री का एक ख़ास योगदान है. और धीरे धीरे नौन-वेज की तरफ बढ़ता हुआ चलन पोल्ट्री क्षेत्र की उन्नति के लिए मुख्य रूप से लाभ कारी है.
®  ब्रायिलर पक्षी माँस के लिए पाले जाते हैं जिसका उत्पादन देश में 8% प्रति वर्ष के हिसाब से बढ़ रहा है. लोगो की बढ़ती हुई आए और खाने पीने में अधिक प्रोटीन की मात्रा को सम्मिलित करने के लिए लोगो का ख़ास रुझान पोल्ट्री से प्राप्त होने वाले उत्पादो पर है जैसे ब्रायिलर माँस और अंडे.
®  परंतु भारत में अभी भी विश्व स्तरीय टेकनोलॉजी की कमी है जिसकी वजह से यहाँ उत्पादन और देशो से महेंगा पड़ता है, साथ ही बीमारियो की बहुतायत, फीड के अत्यधिक मूल्य, बढ़ता हुआ इंटेग्रेशन, विपणन के बूंयादि ढाँचे की कमी, उत्पादन में क्षेत्रीय असंतुलन,

विश्व में पोल्ट्री माँस का उत्पादन 




विश्व में पोल्ट्री माँस का उत्पादन तेज़ी से बढ़ रहा है. 2011 में लगभग 10.1 करोड़ टन पोल्ट्री माँस का उत्पादन हुआ जो बढ़कर 2013 में 10.8 करोड़ टन हो गया. मुर्गा मुख्य पोल्ट्री पक्षी है परंतु भारत में बत्तख़, टर्की और कहीं कहीं एमू का भी चलन हैलगभग 87% पोल्ट्री माँस में मुर्गे का योगदान है. इसी तरह अंडो का भी उत्पादन भी लगातार बढ़ रहा है. यदि रेबो बॅंक की वेश्विक रैंकिंग के आधार पर देखा जाए तो विश्व की सबसे बड़ी पोल्ट्री उत्पादन की कंपनियाँ (जो चित्र में दर्शाई गयी हैं) टायसन फूडस, जबीएस पिलग्रिम्स और मर्फ़ृीग हैं.

विश्व स्तर पर अंडो का उत्पादन





पिछले दशक में (सन 2000 से 2012 तक) अंडो का उत्पादन 28.4% तक बढ़ा जो की 2.4% की वार्षिक वृधि को दर्शाता है. सिर्फ़ 2012 में ही 12,300 हज़ार करोड़ अंडो का उत्पादन हुआ, जो 630 करोड़ मुर्गियो से प्राप्त हुए. इसी तरह अंडा सेवन में विश्व स्तर पर काफ़ी बढ़ोहतरी हुई, जो खपत 1960 में 2 करोड़ टन थी वो 1990 में 40 करोड़ टन और 2010 में 6.3 करोड़ टन हो गयी. 2010 में नीदरलंड, स्पेन, जर्मनी और चाइना अंडो के सबसे बड़े  निर्यातक रहे और अमरीका, मध्य एशिया और गल्फ के देश और कुछ यूरोपेन देश अंडो के सबसे बड़े आयातक रहे.



बढ़ती हुई माँग के लिए निम् कारक उत्तरदायी हैं

®  मानव आहार में पशु उत्पादों का बढ़ता हिस्सा
®  आय वृद्धि और आर्थिक समृद्धि
®  जनसंख्या वृद्धि: 2050 में 9.5 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है
®  बढ़ता हुआ शहरीकरण
®  बढ़ता हुआ पोल्ट्री व्यापार
®  स्वास्थ्य और पोषण: पोल्ट्री मांस में वसा की मात्रा कम होती है
®  प्रोटीन के एक स्रोत के रूप में, अन्य प्रोटीन की तुलना में मुर्गी उत्पाद कम कीमत में अधिक पोष्टिक होते हैं.

भारत में मौजूद अवसर

भारत दुनिया मे एक ऐसा देश है जो यूरोपियन संघ के देशो को Non-GMO पोल्ट्री उत्पाद निर्यात कर सकता है, भारत की जलवायु मुर्गी पालन के लिए बिलकुल उपयुक्त है जहाँ कम पैसो में अच्छा उत्पादन मुमकिन है, कम लागत में लेबर उपलब्ध है, फीड बनाने की सामग्री स्थानीय स्तर पर उपलब्ध है, बढ़ती हुई आए, बढ़ती हुई जनसंख्या

भारत में पोल्ट्री फार्मिंग के सामने चुनौतियाँ

®  बढ़ते हुए फीड के दाम और बनाने की लागत
®  नयी नयी उभरती हुई मुर्गियो की बीमारिया
®  उत्पादन में क्षेत्रीय असंतुलन - कम उत्पादन
®  घटता हुआ लघु स्केल पोल्ट्री का हिस्सा
®  बेहद खराब पोल्ट्री मार्केटिंग इनफ्रास्ट्रक्चर
®  घरेलू बाजारों में संसाधित पोल्ट्री उत्पादों की सीमित स्वीकृति
®  पोल्ट्री आयात में प्रतियोगिता

      यह संलेख Dr. Ibne Ali का सर्वाधिकार है जिसे हमने ब्रायिलर फार्मेरो के ज्ञान वर्धन के लिए बनाया गया है. कोई संस्था यदि इसमे दी गयी जानकारी को कहीं उपयोग करे तो Ali’s Veterinary Wisdom के सौजन्य से लिखना ना भूलें. इस संलेख को किसी और नाम से प्रकाशित करने पर सर्वाधिकार हनन माना जाएगा.


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