मुर्गी पालन में लीवर के स्वास्थ का महत्त्व और उसकी देखभाल - Importance of Liver Health in Poultry Farming and its Care


मुर्गी पालन में लीवर के स्वास्थ का महत्त्व और उसकी देखभाल -
Importance of Liver Health in Poultry Farming and its Care




  • ·         मुर्गी के पेट में पाचन होने के बाद आंतो से पोषक तत्व खून में अवशोषित हो जाते हैं यह पोषक तत्व फिर शरीर के विकास और अन्य क्रियाओं के लिए काम आते हैं
  •  ·         पोषक तत्वों के साथ साथ कुछ अन्य ज़हरीले तत्व जैसे बैक्टीरिया, वायरस, माइकोटोक्सिन भी खून में जाने की सम्भावना रखते हैं 
  •  ·         इसलिए शरीर में जाने से पहले यह खून लीवर नामक अंग में जाता है लीवर एक फ़िल्टर की तरह काम करता हैं और हानिकारक पदार्थो को आवश्यक पोषक तत्वों से अलग करता है
  •  ·         इसी तरह लीवर शरीर में विभिन्न रसायनिक क्रियाओं द्वारा बने विषैले हानिकारक पदार्थो को भी बदलता है जिससे वो शरीर के लिए हानिकारक नही रहते जैसे शरीर में बनने वाली अमोनिया को यूरिया और फिर यूरिक एसिड में बदल देता है
  •  ·         तो मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है की लीवर शरीर में प्रवेश करने वाले ज़हर/विषैले पदार्थो (Toxins) को  न्यूट्रल तत्वों में बदल देता है (जिसे detoxification कहा जाता है) जिससे वो शरीर को हानि नहीं पहुंचाते और किडनी या आंतो के रस्ते बहार निकल जाते हैं
  •  ·         परन्तु लीवर की detoxification करने की एक क्षमता होती है और अत्यधिक कार्य करने पर लीवर में विकृतियाँ आने लगती हैं जैसी विभिन्न बिमारियों में देखने को मिलती हैं|

  •  यहाँ पर उद्धरण के तौर पर इस बात पर गौर किया जा सकता है की पोल्ट्री में माइकोटोक्सिन (mycotoxins/aflatoxins) द्वारा पहुचाई जाने वाली हानि को सबसे पहले लीवर में देखा जाता है| अफलाटोक्सिन लीवर में कैंसर करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत कम कर देते हैं| यह पोल्ट्री के फीड के ज़रिये आंतो में पहुँचते हैं और फिर खून से लीवर में आ जाते हैं| लीवर अफलाटोक्सिन को न्यूट्रल / detoxify करने की कोशिश करता है और अपनी क्षमता अनुसार इन माइकोटोक्सिनस को निष्क्रिय भी करता है परन्तु जब फीड में निरंतर माइकोटोक्सिन आते रहते हैं तो लीवर उनसे लड़ने के लिए अपनी कोशिकाओं में वृद्धि करने लगता है और यह वृद्धि जल्दी ही कैंसर का रूप धारण कर लेती है जिससे लीवर की कार्य क्षमता बढ़ने के बजाये व्यापक रूप से गिर जाती है| और इससे उत्पादन कम हो जाता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) गिर जाती है और मोर्टेलिटी (mortality) बढ़ने लगती है| सबसे अधिक असर FCR पर पड़ता है जो बढ़ने लगता है|


यह तो सिर्फ एक उद्धरण है इसी तरह सैकड़ो विषैले पदार्थ खून से लीवर में जाते हैं जिन्हें लीवर को निष्किय करना पड़ता है| इससे आप लीवर के ऊपर कितना भार होता है इसका अंदाज़ा लगा सकते हैं|

शरीर में जितनी भी एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाई जाती हैं सब लीवर द्वारा निष्क्रिय की जाती हैं| यह विभिन्न हारमोंस को भी निष्क्रिय करता है और लीवर खराबी की स्थिति में हारमोंस टूट नहीं पाते और शरीर में कार्यरत रहते हैं|

लीवर की कार्य क्षमता कम होने से क्या प्रभाव होते हैं इसके लिए हमें लीवर द्वारा किये गए कार्यो को समीक्षा करनी पड़ेगी

1. शारीरक उर्जा में लीवर का योगदान: मुर्गी के शरीर में उर्जा का एक मात्र स्रोत ग्लूकोस होता है| मक्का और अन्य अनाज के अन्दर मौजूद स्टार्च आंतो में पचकर ग्लूकोस बन जाता है जो खून द्वारा अवशोषित होकर लीवर में पहुँचता है यहाँ से ग्लूकोस शरीर की आवश्यकता अनुसार खून में आता रहता है, अतिरिक्त ग्लूकोस ग्लाइकोजन नामक पदार्थ में बदल जाता है और आवश्यकता अनुसार ग्लूकोस बनता रहता है| मुर्गी के खून में 270mg/dl ग्लूकोस होती है जबकि मनुष्यों में इसकी मात्रा 120mg/dl होती है| ग्लूकोस का लीवर में संयोजन और निर्माण उत्पादन में सबसे अहम् भूमिका निभाता है क्यूंकि ग्लूकोस से उर्जा बनती है और बिना उर्जा के सब अंग बेकार हो जाते हैं|

इसीलिए जब लीवर काम करना बंद करता हैं तो खून में ग्लूकोस की उपलब्धता पर गहरा असर पड़ता है (जिसे hypoglycemia कहते हैं) जब उत्पादन कम हो जाता है|

   

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2. फैट के मेटाबोलिज्म में लीवर का योगदान: लीवर 3 तरह से फैट का मेटाबोलिज्म करता है पहला फीड से फैट को अवशोषित कर संरक्षण करना दूसरा नया फैट बनाना और तीसरा जमा हुए फैट को तोड़कर वापिस खून में भेजना जिससे वो विभिन्न अंगो  तक पहुँचता है| तीसरे वाले कार्य को फैट मोबिलाइजेशन कहा जाता है और इस प्रक्रिया के थमने से फैटी लीवर की सम्भावना बढ़ जाती है| इस कंडीशन में खून में पर्याप्त फैट नहीं आ पाता और जो अंग उर्जा के लिए फैट पर भी निर्भर होते हैं उनकी कार्य क्षमता कम हो जाती है जैसे दिल|

3. लीवर में प्रोटीन उत्पादन: एल्ब्यूमिन सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन है जिसे जो लीवर में बनता है यह प्रोटीन खून का एक अहम् हिस्सा होता है जो खून में पानी को रोक कर रखता है जिससे (oncotic) प्रेशर बना रहता है| यदि लीवर में खराबी के कारण ये प्रोटीन बनना बंद हो जाये तो शरीर का पानी बहार आ जाता है पेट में भर जाता है| यह एल्ब्यूमिन अंडे का सफ़ेद हिस्सा भी बनाता है|  इसी तरह कई प्रोटीन रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं और साथ ही साथ clotting factors को भी बनाता है|

4. विभिन्न बिमारियों में लीवर की स्थिति, उसकी पहचान, बचाव और उपचार
जब पोल्ट्री का पोस्ट मोर्टेम किया जाता है तो सबसे पहला अंग जो शरीर खोलकर दिखता है वो लीवर होता है और लीवर को देखकर बीमारी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है| यहाँ हम विभिन्न बीमारियों के बारे में बात करेंगे जिनमे लीवर मुख्य तौर पर प्रभावित होता है ऐसा नहीं है की इन बिमारियों में केवल लीवर ही प्रभावित होता हो इसलिए सम्पूर्ण डायग्नोसिस (diagnosis) के लिए बीमारी के लक्षणों और अन्य अंगो को भी देखा जाता है|

Figure 1 लीवर का शरीर में स्थान| postmortem करने पर लीवर इस स्थिति में मिलना चाहिए 


Figure 2 विभिन्न बिमारियों में लीवर की दशा, नार्मल चित्र से मिलाएं|
Figure 3 Normal Liver यह एक स्वस्थ लीवर का चित्र है जिसमे आप देख सकते हैं की लीवर के किनारे बारीक है और रंग मेहरून है 
Figure 4  Normal Liver यह एक स्वस्थ लीवर का चित्र है जिसमे आप देख सकते हैं की लीवर के किनारे बारीक है और रंग मेहरून है 


Figure 5 E.coli के संक्रमण में लीवर के ऊपर का आवरण (liver capsule) प्रभावित होता है और serofibrinous polyserositis नामक स्थिति पैदा होती है और कैप्सूल सफ़ेद हो जाता है|

Figure 6 E. coli कई बार लीवर हलके हरे रंग का दिखने लगता है (जैसे fowl typhoid या fowl cholera) और कुछ कोशिकाओं के मरने से necrotic foci दिखने लगते हैं| जैसा की इस तस्वीर में सुई की नोक बराबर सफ़ेद धब्बे दिख रहे हैं| 

Figure 7 Salmonella में लीवर में सलेटी रंग के छोटे छोटे (बाजरे के दाने के बराबर) धब्बे दिखाई देते हैं जिन्हें milliary necrotic foci कहते हैं, milliary necrotic foci बढ़ कर granulomatous hepatitis में बदल जाता है

Figure 8 Salmonella चित्र मनी दिखाई गयी एक स्वाभाविक स्थिति है  जो  fowl typhoid के दौरान लीवर में एकदम दिखाई देती है वो है लीवर बढ़ जाता है और उसपर ताम्बे (हलकी हरी) के रंग की परत दिखाई देती है (Copper Bronze Sheen)

Figure 9 Salmonella दोनों चित्रों में लीवर अपने नार्मल साइज़ से काफी बढ़ा हुआ है, milliary necrotic foci भी साफ़ देखा जा सकता है और हरा रंग की परत भी दिख रही है  (Copper Bronze Sheen

Figure 10 Colangiohepatitis (CAH) – यह बीमारी आजकल  Broilers में काफी बढ़ रही है| यह Clostridium perferinges से होती है| इस में  bile duct भी मोती हो जाती है|
Figure 11  Necrotic Enteritis अंडा देने वाली मुर्गियों में ये 25वे हफ्ते में देखने को मिल जाती है इसमें clostridium बैक्टीरिया द्वारा बनाये गए टोक्सिन से लीवर में खून का बहाव बढ़ जाता है और थक्के जैम जाते हैं 

Figure13 Fowl cholera में लीवर का साइज़ अत्यधिक बढ़ जाता है जिसे hepatomegaly कहते हैं इसमें बाजरे के दाने के बराबर सफ़ेद चक्कते दिखाई देते हैं| यह Pasteurella नामक बैक्टीरिया से होता है| दूसरी फोटो में swollen liver coagulative necrosis की कंडीशन देखी जा सकती है

Figure 14 HPAI – Highly Pathogenic Avian Influenza – यह बर्ड फ्लू में लीवर की कंडीशन है इसमें लीवर और अन्य अंगो में खून का भारी रिसाव होता है जैसा की तस्वीरों में देखा जा सकता है| इनको hemorrhages कहा जाता है जो की लीवर की सतह पर दिखते हैं|

Figure 15 Combined infection of E.coli & Mycoplasma| Fibrinous hepatitis
Figure 16 Combined infection of E.coli & Mycoplasma| ऐसे केसेस में साँस लेने का तंत्र और पाचन तंत्र दोनों बिगड़ जाते हैं जिससे भारी नुक्सान होते हैं|
Figure 17 Combined infection of E.coli & Mycoplasma| Fibrinous hepatitis में लीवर पर कैप्सूल का मोटा आवरण देखा जा सकता है|

Figure 18 Mycotoxin (Aflatoxin) के कारण पूरे लीवर की सतह पीली सी होने लगती है और और उसका रंग नार्मल मेहरून से नहीं रहता| एक और ख़ास बात लीवर के ऊपर दानेदार सफ़ेद बिंदियाँ सी दिखती हैं और किनारे गोल हो जाते हैं    

Figure 20  Marecks Disease यह बिमारी मुख्यत कैंसर करती है जिसे सतह पर आसानी से देखा जा सकता है| लीवर तथा अन्य महत्वपूर्ण अंगो पर बड़े बड़े सफ़ेद चक्कते बन जाते हैं|



महत्वपूर्ण: इकोलाई (E. Coli) - इकोलाई बैक्टीरिया स्वयं खून में अवशोषित हो जाता है और इसके द्वारा बनाये गए टोक्सिन भी खून में पहुँच जाते हैं जिससे सेप्टीसिमिया कहते हैं| इसमें लीवर के ऊपर का आवरण (liver capsule) प्रभावित होता है और serofibrinous polyserositis नामक स्थिति पैदा होती है और कैप्सूल सफ़ेद हो जाता हैकई बार लीवर हलके हरे रंग का दिखने लगता है और कुछ कोशिकाओं के मरने से necrotic foci दिखने लगते हैं| जैसा की इस तस्वीर में दिख रहा है


लीवर को स्वस्थ रखने के लिए क्या करना चाहिए इसको हम अगले भाग में समझेंगे और देखेंगे वो कौन सी दवाइयां हैं जिनसे लीवर की कार्यप्रणाली को बढ़ा कर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है और साथ ही साथ पक्षी भी स्वस्थ रहते हैं 

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