मुर्गियों में बीमारी जानने की कला - भाग 1
एक
भ्रांति जो
अमूमन मुर्गी
पालन को
लेकर लोगो
में देखने
को मिलती
है वो
यह है
की वो
समझते हैं
की मुर्गियो
में बीमारी
रातो रात
पूरे पूरे
फार्मो को
बर्बाद कर
देती हैं
जिसमे सब
मुर्गियाँ मर
जाती हैं.
ये एक
अफवाह हैं
जिसमे कोई
दम नही
है. ये
बात सत्य
है की
मुर्गियों में
और जनवरो
की बनिस्बत
ज़्यादा बीमारी
आती है
पर उसे
आमतौर पर
आसानी से
कंट्रोल कर
लिया जाता
है और
कोई खास
नुकसान नही
होता. दूसरी
बात यह
है की
अब पोल्ट्री
व्यवसाय ने
बहुत तरक्की
कर ली
है और
नयी नयी
दवाइयाँ बाज़ार
में उपलब्ध
है जो
बीमारी को
ठीक कर
देती हैं.
तीसरी बात
ये की
बायो सेक्यूरिटी
प्रबंधन से
बहुत सी
बीमारियों को
फार्म में
आने से
पूर्ण रूप
से रोका
जा सकता
है.
इस संलेख में हमने आसान तरीके से
यह समझाने की कोशिश की है की किस तरह लक्षण और बीमारी की अवधि देखकर यह पता लगाया
जाए की मुर्गी को किस किस्म की बीमारी है और प्राथमिक उपचार और प्रबंधन सुधार के
तौर पर क्या करना चाहिए| यह एक तरीका मात्र है यहाँ पर कुछ भी पत्थर पर लकीर नहीं
है आवश्यकता पड़ने पर अपने विवेक और तजुर्बे के साथ पशुचिकित्सक की सलाह भी लें |
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बीमार मुर्गियों को 2 भागो में बांटा जाता हैं
पहली वे मुर्गियां जो बीमार हैं और धीरे धीरे मर रही हैं (जिनमे
बीमारी के लक्षण 24 घंटे से अधिक समय तक रहते हैं)
फिर यह देखें की मुर्गियां रात के समय में मर रहीं हैं या
किसी भी समय मर जाती हैं |
यदि रात के समय मर रही हैं और खाल या कलगी का रंग नीला या
बैंगनी है, यदि ऐसा है तो देखें की मुर्गियां अपनी पीठ के बल सीधी पड़ी मिलती है और
उनके पैर ऊपर हवा में होते हैं|
इस अचानक हुई मौत की सम्भावना सडन डेथ सिंड्रोम (Sudden Death Syndrome) की बीमारी हो
सकती है इसमें मरने का कारण अत्यधिक गर्मी, इलेक्ट्रोलाइट और एंटीओक्सिडेंट की कमी
होती है|
ऐसे में बाड़े में मुर्गियों की संख्या कम करें, वेंटीलेशन (वायु प्रवाह) बढ़ाये
पानी में एलेक्ट्रल मिला कर पिलाएं ( या 10ग्राम नमक एक लीटर पानी में) और दाने
में प्रोटीन की मात्रा कम कर दें|
यदि रात के समय मर रही हैं और खाल या कलगी का रंग नीला या
बैंगनी है, और पेट चीरने पर पीले रंग का साफ़ द्रव देखने को मिलता है तो यह असाईटिस (Ascites) की बीमारी है जिसमे पेट में पानी भरने से अफारा हो जाता है| अमूमन सीलन और गर्मी
की वजह से ये दिक्कत आती है| इसमें लीवर प्रोटीन बनाना बंद कर देता है और खून से
पानी बहार आ जाता है|
ऐसे में वेंटीलेशन (वायु
प्रवाह) बढ़ाये पानी में एलेक्ट्रल और विटामिन C मिला कर पिलाएं, दाने में प्रोटीन
की मात्रा कम करें और रात में दाना रोक लें
यदि मुर्गियां किसी भी समय मर जाती हैं तो
यह देखें की मुर्गी सक्रियता कम हो गयी है और निम्न लक्षण हो
- मुर्गी नीचे का लिट्टर खाती है
- पानी ज्यादा पीने लगती है
- पतली पीली बीट करती है
यदि ये लक्षण हो और बीट में खून आये कोक्सिडियोसीस (Coccidiosis) की
सम्भावना सबसे अधिक है ऐसे में जल्दी से लिट्टर को बदले और 2 ग्राम अम्प्रोलियम 1
लीटर पानी में 3 दिन चलायें
यदि ऊपर वाले लक्षण हो पर बीट में खून न हो तो अधिक सम्भावना
नेक्रोटिक एंटेराईटिस (Necrotic Enteritis) की होती है ऐसे में जल्दी से लिट्टर को बदले और 2 ग्राम टेट्रासाईक्लीन
1 लीटर पानी में 5 दिन तक चलायें (सुबह) और शाम में लीवर टोनिक दें
यदि मुर्गियां किसी भी समय मर जाती हैं तो देखें
- मुर्गी की सक्रियता कम होती है,
- छिंकती हैं,
- आँखें और नीचे लटकी कलगी (wattle) सूज जाती हैं
- मुर्गी को सांस लेने में दिक्कत होती है (मुह खोल के सांस लेती है)
- मुर्गी झुंड से अलग खड़ी हो जाती है
यह बीमारी कोरायिज़ा कहलाती है और Sinusitis (Coryza) sinus infection की सम्भावना 95% होती है और 5% संभावना रानीखेत बीमारी की होती है
यही बिमारी अगर 5 दिन से अधिक बढ़ जाये तो CRD हो जाती है
ऐसे में हवा की गुणवत्ता बढ़ानी चाहिए
Levofloxacin
- Colistin 1g - 5 लीटर पानी में 3 दिन चलाएँ
सुबह के समय विटामिन B कॉंप्लेक्स दें
कुछ बीमारियाँ ऐसी होती हैं जिनमे मुर्गी लक्षण दिखने के 12
घंटे के भीतर मर जाती है| यह स्थिति मुर्गियों में बीमारी जानने की कला भाग 2 में
पढ़े
यह संलेख Dr. Ibne Ali का सर्वाधिकार है जिसे हमने ब्रायिलर फार्मेरो के ज्ञान वर्धन के लिए बनाया गया है. कोई संस्था यदि इसमे दी गयी जानकारी को कहीं उपयोग करे तो Ali’s Veterinary Wisdom के सौजन्य से लिखना ना भूलें. इस संलेख को किसी और नाम से प्रकाशित करने पर सर्वाधिकार हनन माना जाएगा.
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