प्राचीन काल
में बकरियो
की उत्पत्ति
का परिचय
- भारत एक उष्ण कटिबंधीय देश हैं जहाँ 12 में से 8 महीने गर्मी रहती है इसलिए भारत में बकरियो की बहुत सारी प्रजातियाँ पाई जाती हैं.
- बकरी एक गरम जलवायु में रहने वाला प्राणी है परंतु कृतिम चयन से कुछ ऐसी बकरिया भी बना ली गयी हैं जो यूरॉप के ठंडे प्रदेशो में भी आसानी से रह लेती हैं.
- यह माना जाता है की बकरियो की उत्पत्ति ईरान और उससे सटे हुए मध्य एशिया के पहाड़ो मे हुई है और कुत्ते के बाद बकरी दूसरा पशु है जिसे पालतू बनाया गया है.
- बकरियो की लगभग तीस से अधिक प्रजातिया भारत में पाई जाती हैं जिनमे से सबसे अधिक प्रजातिया राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी मध्य प्रदेश में मिलती हैं . हमारा छेत्र देश के बकरी पालन में अग्रणी छेत्रो में माना जाता है
- राजस्थान में पाई जाने वाली सबसे अधिक प्रचलन में सिरोही नस्ल है इसके साथ साथ तोतापरी, और सोजत भी काफ़ी लोक प्रिय हैं.
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बर्बरी और जमुनापरी बकरिया काफ़ी अच्छी मानी जाती हैं यह देखने मे सुंदर और दूध में काफ़ी अच्छी होती हैं.
- पंजाब में बीटल और झकराना नस्ल आम तौर से मिलती हैं,
- उपरी उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर में चेगू, चानथंगी और गद्दी नस्ले मिलती हैं जो मुख्यतः उन के लिए पाली जाती हैं.
- पूर्वी भारत में ब्लॅक बंगाल नामी नस्ल सबसे अधिक प्रचलित है जिसका मीट सबसे स्वादिष्ट माना जाता है और यह एक बार में 3 बच्चे देती है परंतु यह आकार में बहुत छोटी होती है.
- दक्षिण भारत में ओसमनाबादी और मलबरी अच्छी तादाद में पाई जाती हैं.
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