भैंसो में प्रजनन क्षमता

भैंसो में प्रजनन क्षमता (Reproductive Capacity in Buffaloes)

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भैंसों की प्रजनन क्षमता (Reproductive Capacity) आमतौर पर गायों या भेड़ बकरियों से कम होती है। इसके बहुत सारे कारण हैं परंतु कुछ कारण महत्वपूर्ण हैं  जिन को दूर करके हम भैंसो की प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकते हैं। आइए पहले जानते हैं  भैंसो का प्रजनन तंत्र किस तरह से काम करता है। भैंसों में ईस्टरस साइकिल (estrous cycle) गायों की तरह 21 दिन की होती है।  इसमें हर 21 वे दिन अंडाशय (ovary) से एक अंडा (ovum) निकलता है  यह अंडा यदि सीमन से फ़र्टिलाइज़  हो जाता है तो भैंस ज्ञाबन (pregnant) हो जाती है  अन्यथा दूसरी  ईस्टरस साइकिल (estrous cycle) शुरू हो जाती है।  इस साइकिल में दो फेज़ होते हैं  पहला फेज़ फॉलिक्युलर (folicular) कहलाता है और दूसरा लुटियल (luteal) कहलाता है ।  इन दोनों फेज़ो में चार तरह के हार्मोन काम करते हैं। फौलीकूलर स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH),  लयूटनाईज़िंग हार्मोन (LH),  एस्ट्रोजन(ESTROGEN) और प्रोजेस्ट्रोन (PROGESTRONE)। यह सब हार्मोन मिलकर ईस्टरस साइकिल और गर्भावस्था को नियंत्रित करते हैं। इनमें से प्रोजेस्ट्रोन एक अहम हार्मोन होता है जोकि बच्चेदानी यानी यूट्रस (Uterus) मे खून का प्रभाव बढ़ाता है तथा उसे गर्भ के लिए तैयार करता है। यदि भैंस में गर्भ ठहर जाता है तो यह हार्मोन निरंतर निकलता रहता है और यदि गर्भ नहीं ठहरता तो यह  17वे दिन से  कम होना शुरू हो जाता है। और इसकी जगह एस्ट्रोजन बढ़ने लगता है।  20वे दिन तक एस्ट्रोजन पूरी तरह से बढ़ जाता है और प्रोजेस्ट्रोन अपने निचले स्तर पर चला जाता है तब भैंस गर्मी में आती है। गायों और बकरियों की तुलना में भैंसों में इन हार्मोन का रिसाव बहुत कम होता है इसलिए भैंस अक्सर साइलेंट हीट शो करती है। बाहरी पर्यावरण तापमान और स्ट्रेस का भी गर्मी के लक्षणों पर काफी प्रभाव पड़ता है।

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